डायरेक्ट सेलिंग VS ई-कॉमर्स

डायरेक्ट सेलिंग VS ई-कॉमर्स

डायरेक्ट सेलिंग कंपनियझजुलाई 2019 के अपने अंतरिम आदेष में मान्यनीय दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ की न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने इ-कॉमर्स कंपनियों को डायरेक्ट सेल्लिंग कम्पनियों के उत्पाद उनकी सहमति के बिना बेचने पर रोक लगाते हुए विस्तृत आदेष में डायरेक्ट सेल्लिंग गाइडलाइन्स को कानूनन मान्यता देते हुए यह भी कहा, इ-कॉमर्स कंपनी अपने बनाये हुए नियमों का भी पालन नहीं कर रही हैं और डायरेक्ट सेल्लिंग गाइडलाइन्स इ-कॉमर्स कंपनियों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर रही हैं। मान्यनीय न्यालय ।उूंल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड व अन्य बनाम ।उं्रवद व अन्य की सात याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था।

यह आदेष इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि मान्यनीय कोर्ट ने यह माना है कि डायरेक्ट सेल्लिंग गाइडलाइन्स, 2016 कानूनन लागू की जा सकती हैं।

कहने की आवष्यकता नहीं है कि इस आदेष को दिल्ली हाई कोर्ट के एक डिवीजन बेंच व सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गयी पर कहीं से भी उन्हें कोई रिलीफ नहीं मिली और न तो दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित केस पर सुनवाई और न ही उक्त आदेष पर रोक लगाई गयी। मान्यनीय सुप्रीम कोर्ट , इ-कॉमर्स कंपनियों की विषेश अनुमति याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है।

भारत सरकार के खाद्य, सार्वजानिक वितरण व उपभोक्ता सरंक्षण मंत्रालय ने सही निर्णय लेते हुए २ अगस्त 2019 को इ-कॉमर्स गाइडलाइन्स का प्रारूप पेष किया है जिस पर 16 सितम्बर 2019 तक सुझाव मांगे गए थे। एक बार इन गाइडलाइन्स को अधिसूचित कर दिया गया तो इ-कॉमर्स कंपनियों को नए उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम, 2019 के दायरे में लाया जा सकेगा जो की उपभोक्ताओं के हिट में एक उचित कदम होगा।