भारत का नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम

भारत का नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम

भारत का नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अधिनियम की प्रमुख धाराएं इस प्रकार हैंः
– दोशपूर्ण उत्पादों या त्रुटिपूर्ण सेवाओं को रोकने के लिए ‘‘उत्पाद दायित्व प्रावधान षामिल किया गया है
– ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेबत मार्केटिंग को कानून के दायरे में लाया गया है
– उपभोक्ता संरक्षण फलों के आर्थिक विचारों में वृद्धि की गई है, – सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया षुरु की गई
– लंदरीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधेकण की स्थापना का प्रावधान है
– भ्रामक विज्ञापनों और उत्पादों में मिलावट को रोकने के लिए अधिकतम दंड का प्रावधान किया गगा है.
और अंत में – षिकायत दर्ज करने के लिए नए अतिरिक्त आधारों को लाया गया है।

अगस्त 2019 को भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (ब्च्।, 1986) को निरस्त करके नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (ब्च्।ए 2019) को ।बज 35 के रूप में राजपत्रित किया है। नये युग की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक मंचों अर्थात ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग या बहु-स्तरीय विपणन (डस्ड) को विनियमित करने के लिए इसे अधिनियमित किया गया। इसका उद्देष्य उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और उन्हें लागू करने के लिए सषक्त षिकायत निवारण तंत्र प्रदान करना है।

इसका डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेवल मार्केटिंग विपणन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जो अब तक केवल डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइंस २०१६ के अनुपालन की स्व-घोशणा द्वारा विनियमित थे।

आइए डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेवल मार्केटिंग को प्रभावित करने वाले प्रावधानों की मुख्य विषेशताओं पर एक नजर डालते है

– ब्च्। 2019 की धारा 2(7) के तहत, ‘‘उपभोक्ता‘‘ की परिभाशा में उस उपभोक्ता को भी षामिल किया गया है जो कि इलेक्ट्रानिक साधन, टेलीषापिंग, डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी-लेवल मार्केटिंग के माध्यम से ऑफलाइन या ऑनलाइन लेनदेन करता है। (यह परिभाशा डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी लेवल मार्केटिंग विपणन प्लेटफार्म का प्रभावित करेगी जिससे न केवल निर्माता या डायरेक्ट सेलिंग इकाई अपितु सेल्लिंग के प्रत्येक स्तर पर हर विक्रेता का दायित्व भी पूर्ण रूप से होगा।

ब्च्। 2019 की धारा 2 (6) के तहत, ‘‘अनफेयर का ट्रैक्टर‘‘ को “अनफेयर, एकतरफा और अनुचित‘‘ या दूसरे षब्दों में “ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट” सहित‘‘ कांट्रैक्ट ‘‘ को भी जोड़ दिया गया है जो कि उपभोक्ता अधिकारों में महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत है। इसके अतिरिक्त डायरेक्ट सेलिंग या मल्टी-लेवल मार्केटिंग संस्थाओं, उनके वितरक और टीम के अन्य सदस्यों को भी “ प्रोडक्ट दायित्व धारा 2(35)‘‘ और ‘‘सेवाओं की कमी” धारा 2(34) के तहत उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। जैसे कि एक दोशपूर्ण उत्पाद निर्माण के कारण उसके द्वारा उत्पन्न किसी भी हानि के लिए एक उपभोक्ता को मुआवजे का भुगतान करना होगा।

– ब्च्। 2019 की धारा 74 से 81 (अध्याय ट) के तहत, आपसी सहमति से मध्यस्थता की सुविधा प्रदान करती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,2019 (ब्च्।ए 2019) की धारा 10 में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा, बढ़ावा व संरक्षण हेतु केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण व उसके पांच रीजनल पीठों की स्थापना का प्रावधान है। इस प्राधिकरण के पास एक विवेचना खंड होगा जो स्वयं या जिला कलेक्टर से विवेचना करवाना। यह प्राधिकरण स्वयं किसी अपराध का संज्ञान ले सकता है। परन्तु डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर केवल प्राधिकरण द्वारा सौंपे गए. प्रकरण की जांच ही कर सकता है। प्राधिकरण दस लाख से ले कर पच्चास लाख तक का जुर्माना लग सकता है। ब्च्।, 2019 के पाठ की धारा 74 -81 के अनुसार आपसी समझौते का प्रावधान है। जिसके लिए जिला, राज्य व राश्ट्रीय फोरमों और ब्ब्च्। व इसकी पीठों से समझौता सेलों को संलग्न किया गया है।
सरकार का अब अगला कदम होगा ब्च्। , 2019 की धारा 101 के तहत निम्नलिखित नियमों को अधिसूचित करनाः
’ डायरेक्ट सेल्लिंग नियम य
’’ ई-कॉमर्स नियम
’ ब्ब्च्। व इसकी क्षेत्रीय पीठों का गठन व सदस्यों को नामित करना य

ब्मदजतंस ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ब्वनदबपस का गठन व इसके सदस्यों का नामकरण ’’ समझौता सेलों का गठन व इसके सदस्यों की नियुक्ति। आषा है सरकार इस पर गंभीरता से विचार करते हुए आवष्यक कार्यवाही तुरंत करेगी। जैसे ही उपरोक्त नियम अधिसूचित हो जाएंगे, डायरेक्ट सेल्लिंग व्यवसाय में लिप्त लोगों को असीम राहत मिलेगी और वे एक सम्मानजनक व्यवसाय का हिस्सा होने में गर्वित महसूस करेंगे। आम जनता व उपभोक्ताओं का विष्वास भी बढ़ेगा। हमें यह कहते हुए हर्ष हो रहा है की अब डायरेक्ट सेल्लिंग व्यापार भारत में भी दिन दूनी और रात चौगनी तरक्की करेगा।