डायरेक्ट सेलिंग का भविष्य

डायरेक्ट सेलिंग का भविष्य

डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइंसए 2016 और उपभोक्ता संरक्षण कानूनए 2019 से डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में क्या बदलाव आया है!

निष्चित तौर पर बदलाव आये हैं और ये बदलाव सकारात्मक हैं। एक दिशानिर्देशित और कानूनी नियामक तंत्र का लाभ सभी ने उठाया है ए खासतौर से ग्राहकों ने ये एक किस्मका विकास है क्योंकि डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में कई तरह के उत्पाद होते हैं इसलिए कंपनियों की संरचना में भी अंतर होता है। उदाहरण के लिए एक संस्था में डायरेक्ट सेलर्स  के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है उसमें भी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अंतर होता है।

(गाइडलाइंस)  दिशानिर्देशोंद्ध ने वो मार्गदर्शन और एक रूपता दी जिसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी। आगे चलकर इसमें लिखित कांट्रेक्ट , विक्रेताओं के लिए अनिवार्य सेशन और शिकायत निवारण सिस्टम संबंधी जरूरतों का भी प्रावधान किया, जिससे इस व्यवसाय में काम करने वाले लोगों से हाउसकीपिंग (व्यवसाय के जरूरी दस्तावेजों को बनाए रखने) की भी अपेक्षा की गई। इससे कोर्ट में उन्हें ये सबूत पेश करने में मदद मिली कि वो वैध कंपनी हैं।

डायरेक्ट सेलिंग संस्थाओं और नेटवर्क मार्केटिंग को लेकर भ्रामक विज्ञापनों ने भारतीय डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को लेकर एक गलत  छवि बनाई है। क्या आप इससे सहमत हैं ?

डायरेक्ट सेलिंग संस्थाएं बिक्री के लिए मुंह से बोले गए शब्दों पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है और अंत में उस कथन की सत्यता उपलब्ध कराई जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। भ्रामक विज्ञापनों से भी ज्यादा जिसने इस इंडस्ट्री को प्रभावित किया है वो है किसी नियामक संस्था का ना होना जिसने इस व्यवसाय और ग्राहकों दोनों पर बुरा असर डाला। मल्टी लेवल मार्केटिंग की वित्तीय योजनाओं को लेकर दुविधा मुख्य रूप से इसलिए पैदा हुई क्योंकि वैध और अवैध कंपनी चिन्हित करने के लिए कोई संस्थागत प्रयासन हीं था। आज भी उस समय के कुछ अवशेष वैद्य संस्थाओं पर बुरा असर डाल रहे हैं और इससे उनकी छवि पर बुरा असर अवश्य होता है!

एक वजह ये भ्रम भी रहा किये दिशानिर्देष कानूनी नहीं है। अब भी बहुत सारे लोगों को लगता है कि ये इंडस्ट्री विनियमित नहीं है और इसलिए अवैध है। ये पूरी तरह से एक भ्रम है जिसका समाधान कानून के जरिए होगा।

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